संघ के हिंदुत्व को ब्राह्मणवाद से जोड़कर दलित विचारक ने क्यों छोड़ा RSS का साथ ?
दलित विचारक भंवर मेघवंशी (Bhanwar Meghwanshi) की आत्मकथा 'मैं एक कार सेवक था' का अंग्रेजी अनुवाद 'आई कुड नॉट बी हिंदू' चर्चा में है. इसमें उन्होंने संघ को लेकर कई हैरान करने वाली बातें बताई हैं.
दलित विचारक और लंबे वक्त तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे भंवर मेघवंशी (Bhanwar Meghwanshi) की आत्मकथा 'मैं एक कार सेवक था' का अंग्रेजी अनुवाद हाल ही में रिलीज हुआ है. 'आई कुड नॉट बी हिंदू' किताब में मेघवंशी ने संघ से जुड़ी कई हैरान करने वाली बातें शेयर की हैं. मेघवंशी ने इस किताब में ये भी बताया है कि आखिर किस वजह से उन्होंने आरएसएस छोड़ दिया.
किन वजहों से छोड़ी RSS ?
नवभारत टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में भंवर मेघवंशी बताते हैं कि संघ के हिंदुत्व का मतलब सिर्फ ब्राह्मणवाद है. ये दलितों के लिए नहीं है. संघ में जाति को लेकर भेदभाव किया जाता है. इसकी शिकायत उन्होंने संघ के बड़े लोगों से भी की थी, लेकिन उनकी बात को अनसुना कर दिया गया. इससे ही नाराज होकर उन्होंने आरएसएस छोड़ दी.

मेघवंशी एक घटना के बारे में बताते हैं, 'पहली कारसेवा के बाद एक बार हमारे घर में अस्थि कलश यात्रा आई. संघ के सभी लोगों के लिए मेरे घर पर ही खाना बना. खाने की गुजारिश करने पर संघ के लोगों ने कहा कि समाज में जात-पात देखा जाता है. खाना पैक कर दो, बाहर खा लेंगे. मैंने उनके कहे अनुसार खाना पैक करवा दिया. इसके बाद मुझे पता चला कि उन्होंने मेरे घर में बने खाने को दूसरे गांव के बाहर फेंक दिया. तभी मुझे यकीन हो गया कि आरएसएस हम दलितों के लिए नहीं है.
भंवर मेघवंशी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में यात्रा?
भंवर मेघवंशी जब छठी क्लास में थे, तब शाखा से जुड़े थे. वह आगे बताते हैं, 'मैं शाखा से जुड़ते हुए कट्टर बनता जा रहा था. हमारे अंदर ये बात घर कर गई थी कि हम हिंदू हैं और सनातनी हैं. ये देश हमारा है. अन्य धर्मों का तो मक्का मदीना है, किसी का यरुसलम भी. शाखा में हमारा ब्रेन वॉश हो रहा था, जिसकी हमें खबर तक नहीं थी. हमारे अंदर ये बात मजबूती से बैठ गई थी कि ये देश ईसाई और मुस्लिमों का नहीं है, सिर्फ हिंदुओं का है. ये गलत था. सरासर गलत था.
भगवा झंडे को गुरु मानता है RSS
मेघवंशी कहते हैं, 'संघ भगवा झंडे को गुरु मानता है. आरएसएस की सोच है कि हम तत्वनिष्ठ होंगे, व्यक्तिनिष्ठ नहीं. भगवा जो सही अर्थों में भारत की आध्यात्मिकता का प्रतीक है, उसे आरएसएस ने सांप्रदायिक भावना का प्रतीक बना दिया है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगाए कई संगीन आरोप ?
भंवर मेघवंशी आगे बताते हैं, 'आरएसएस के हिंदुत्व का मतलब ब्राह्मणवाद से है. वह देश में ब्राह्मणवाद को स्थापित करना चाहता है. इसकी सच्चाई को लोगों के सामने लाने के लिए मैंने आत्मकथा लिखी है.'
शस्त्र पूजा पर भी उठाए सवाल
मेघवंशी ने संघ की शस्त्र पूजा पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा, 'संघ में हर साल विजयादशमी पर शस्त्रों की पूजा होती है. इसमें शस्त्र को महत्व दिया जाता है. आत्मरक्षा के नाम पर शाखा में तलवार, चाकू, भाला, बंदूक, पिस्तौल चलाना क्यों सिखाया जा रहा है? इनका बाद में दंगा फसाद के दौरान इस्तेमाल होता है.
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