जिन 16 प्रोजेक्ट का चयन किया है वो कोरोना वायरस का खात्मा करने के लिए टीके, दवाओं और तकनीक पर काम करेंगी ।

भारत (India) में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के मामले को देखते हुए अब सरकार ने 16 प्रोजेक्ट को शॉर्टलिस्ट कर लिया है. इन प्रोजेक्ट्स के जरिये कोरोना को हराने की तैयारी है. बता दें कि बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (Birac) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने सोमवार को घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने 16 प्रोजेक्ट का चयन किया है, जो कोरोना वायरस का खात्मा करने के लिए टीके, दवाओं और तकनीक पर काम करेंगी. उन्होंने बताया कि इसके लिए इन सभी प्रोजेक्ट को कोविड -19 अनुसंधान संस्थान के तहत फंड दिया जाएगा ।
ये हैं प्रमुख कंपनियां !
कोरोना वायरस की इस जंग में जिन दो प्रमुख वैक्सीन और फार्मास्युटिकल कंपनियों का चयन किया गया है, उनमें कैडिला हेल्थकेयर और भारत बायोटेक शामिल हैं. ये दोनों ही कंपनियां कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए टीका बनाएंगी. हालांकि ये दोनों ही कंपनियां अभी वैक्सीन बनाने के प्रीक्लिनिकल स्टेज में हैं. गौरतलब है कि दुनिया में अभी तक केवल तीन ही कंपनियां हैं जिन्होंने अपनी वैक्सीन का परीक्षण इंसानों पर करना शुरू किया है, जबकि 67 कंपनियां अभी भी प्रीक्लिनिकल स्टेज में ही हैं ।
बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल ने कैडिला की जिस वैक्सीन का चुनाव किया है, वह रीकॉबिनेंट डीएनए तकनीक पर काम करती है. इसके साथ ही कंपनी एक और वैक्सीन पर काम कर रही है जो एक वायरस के रूप में रिवर्स जेनेटिक तकनीक के रूप में काम करती है और कोरोना को शरीर के अंदर ही खत्म कर देती है ।
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बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल ने दूसरी कंपनी भारत बायोटेक को भी वैक्सीन बनाने का काम दिया है. भारत बायोटेक कोरोना वायरस की ताकत खत्म करने के लिए निष्क्रिय रेबीज वायरस का इस्तेमाल करती है. इस तकनीक से कोरोना वायरस कमजोर पड़ने लगता है और मरीज के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. इससे कोरोना जैसे वायरस को हराने में मदद मिलती है. भारत बायोटेक एक और वैक्सीन पर भी काम कर रहा है जिसे नाक के जरिए शरीर के अंदर डाला जाता है और वह पूरे शरीर में फैलकर कोरोना जैसे खतरनाक वायरस का खात्मा कर देता है ।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव और Birac की चेयरपर्सन रेणु स्वरूप ने बताया कि कोरोना की दवा, टीका और तकनीक पर काम करने वाली कंपनियों को हम फंड देंगे. उन्होंने कहा कि हमारी तरह से उन्हें वो सारी मदद की जाएगी जो उनके काम को आसान बना सके. दवा के लिए अगर उन्हें बाहर के देशों से भी कोई मदद या कच्चा माल चाहिए तो हम उनकी मदद करेंगे.
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